Guru Nanak Dev Ji History in Hindi 2023
आज इस पोस्ट में आपको बताया गया है। सिख धर्म के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी के जीवन के बारे में आपको बताया गया है। सिख धर्म पूरे संसार में प्रसिद्ध है। आज आपको Guru Nanak Dev Ji History in Hindi 2020 इस धर्म में 10 गुरु थे, जिसमें से प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी है। और अंतिम गुरु गुरु गोविंद सिंह थे,
गुरु नानक देव की जयंती Monday, 30 November, 2020
गुरु नानक देव सिखों के प्रथम गुरु थे,
जन्म स्थान————————-पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र के निकट तलवंडी गांव में जन्म हुआ था,
जन्मतिथि————————--15 अप्रैल,1469
मृत्यु ——————————–22 सितंबर 1539 में हुई,
पिता का नाम——————- – मेहता कालूचंद खत्री ,
माता का नाम——————-– तृप्ता देवी था।
पत्नी——————————–सुलक्खनी देवी,
पुत्र——————————— लखमीदास और श्रीचंद,
उत्तराधिकारी———————– गुरु अंगद देव,
गुरु नानक देव जी के अन्य नाम-बाबा नानक, नानक, नानक देव जी,गुरु नानक देव जी और नानकशाह,
नानकशाह का जन्म
गुरुनानकशाह जी का जन्म पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र के निकट तलवंडी गांव में जन्म हुआ था। गुरु नानक देव सिखों के प्रथम गुरु माने जाते हैं। गुरु नानक देव की गुरु नानक (Guru Nanak) सिख धर्म के जनक थे। इनके अनुयायी इन्हें बाबा नानक, नानक, नानक देव जी और नानकशाह नामों से बुलाते थे। वे साधु स्वभाव के धर्म-प्रचारक थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन हिन्दू और इस्लाम धर्म की उन अच्छी बातों के प्रचार में लगाया जो मानव समाज के लिए कल्याणकारी है।
गुरुनानक ने अत्यधिक तपस्या और अत्यधिक सांसारिक,आडम्बर, स्वार्थपरता और असत्य बोलने से दूर रहने की शिक्षा दी. उन्होंने सभी को अपने धर्म की शिक्षा दी, हिन्दू और मुसलामान, दोनों ही उनके अनुयायी हो गए. कार्तिकी पूर्णिमा के दिन ननकाना साहिब में खत्री परिवार में वे उत्पन्न हुए गुरु नानक देव ने 16 वर्ष की आयु में कई भाषाओं का अनुभव कर लिया था। जैसे संस्कृत फारसी हिंदी सहित कई धार्मिक ग्रंथों में महारत हासिल कर ली थी।
बाबा नानक जयंती
गुरु नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा के दिन पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। हर साल यह त्योहार 12 नवंबर, मंगलवार को मनाया जाएगा। गुरु नानक जयंती वाले दिन लोग सुबह 4:00 बजे से पहले ही गुरुद्वारे के अंदर जाते हैं। भजन कीर्तन करते हैं। दुनिया भर में गुरु नानक देव जयंती अक्टूबर-नवंबर मैं पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। गुरु समारोह है लगभग 2 दिन पहले शुरू हो जाता है। और यहां गुरु ग्रंथ साहिब पढ़ा जाता है। जो 48 घंटे लगातार पढ़ा जाता है।
इसी दिन एक जुलूस समारोह कार्यक्रम किया जाता है। और इस दिन गुरु ग्रंथ साहिब को पालकी में बिठा करो और साथ में सिख ध्वज फहराया जाता है। इस जुलूस समारोह को नगरकीर्तन कहा जाता है। इस उत्सव में सड़कों पर जुलूस निकाला जाता है। और साथ में भजन कीर्तन करके चलते हैं। और इस उत्सव में कई झांकियां भी निकाली जाती है ।गुरु नानक जयंती पंजाब मैं और पंजाब के निकट हरियाणा राज्य में भी महत्वपूर्ण त्योहारों में मनाया जाता है।
Guru Nanak Dev का बचपन
बाल्यकाल में जब दूसरे बच्चे खेलने कूदने में व्यस्त रहते थे। तब गुरु नानक अपनी आंखों को बंद करके चिंतन मनन में खो जाते थे। और गुरुदेव ने 16 वर्ष की आयु में कई भाषाओं का अनुभव कर लिया था। जैसे संस्कृत फारसी हिंदी सहित कई घंटों में महारत हासिल कर ली थी। उनके पिता ने उन्हें शिक्षा के लिए पंडित हरदयाल के पास भेजा शिक्षा ग्रहण करने के लिए देता था। पंडितजी नानक के प्रश्नों पर निरुत्तर हो जाते थे। उनके ज्ञान को देखकर पंडित जी समझ गए थे। कि भगवान ने इन्हें खुद पढ़ा कर इस संसार में भेजा है।
नानक जी का परिवार
गुरु नानक देव के माता पिता का नाम मेहता कालू चंद खत्री तृप्ता देवी था। गुरु नानक देव जी का विवाह सन 1485 में कन्या सुलक्खनी से हुआ। गुरु के दो पुत्र थे। बड़े का नाम श्रीचन्द और छोटे का नाम लक्ष्मीचन्द था।गुरु नानक देव के पिता कृषि करते थे। और साथ में पटवारी की जॉब भी करते थे। गुरु के पिता ने उन्हें घोड़ों का व्यापार करने के लिए जो पैसे दिए थे। नानक जी ने उन पैसों को साधु सेवा में लगा दिया और इसके कुछ समय बाद नानक जी अपने बहनोई के पास चले गए वहां जाकर उन्होंने नौकरी की और अपनी नौकरी पूरी ईमानदारी के साथ की जो नौकरी से पैसा आता था। वह ज्यादातर पैसा गरीबों की सेवा में लगा देता थे।
नानकशाहजी के जीवन से जुड़े प्रमुख गुरद्वारें
1.कंध साहिब गुरुद्वारा –
2.हाट साहिब-
3.गुरु का बाग गुरुद्वारा-
4.कोठी साहिब गुरुद्वारा-
5.बेर साहिब गुरुद्वारा –
6.गुरुद्वारा अचल साहिब-
7.गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक-
8.ईसवी संवत 9 नवम्बर, 2019 गुरु नानक के 550 वे जन्मदिन के पूर्व अवसर या त्योहार पर 9 नवम्बर, 2019 के दिन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पंजाब के गुरदासपुर जिले में चेकपोस्ट से पाकिस्तान के पंजाब में गुरुद्वारा करतारपुर साहिब जोड़ने वाले लगभग 4.5 किलोमीटर लंबी सड़क को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हरी झंडी दिखाकर लगभग 500 तीर्थ यात्रियों को रवाना किया ।
गुरु जी के 10 उपदेश
1. सदैव प्रसन्न रहना चाहिए। ईश्वर से सदा अपने लिए क्षमा मांगनी चाहिए।
2. मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से ज़रूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए।
3. ईश्वर सब जगह और प्राणी मात्र में मौजूद है।
4. सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं।
5. बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएं।
6. ईमानदारी से और मेहनत कर के उदरपूर्ति करनी चाहिए।
7. भोजन शरीर को जि़ंदा रखने के लिए ज़रूरी है पर लोभ−लालच व संग्रहवृत्ति बुरी है।
8. ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता।
9. सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो।
10. ईश्वर एक है।
गुरुद्वारों में लंगर की शुरुआत
गुरु नानक ने जात पात को समाप्त करने के लिए लंगर की शुरुआत की लंगर में सभी गरीब अमीर हिंदू मुस्लिम सिख इसाई सभी धर्मों के लोग एक ही लाइन में बैठकर भोजन ग्रहण करते हैं। और यह परंपरा आज भी सभी गुरुद्वारों में चल रही है। आप किसी भी टाइम गुरुद्वारा में जाकर भोजन ग्रहण कर सकते हैं। गुरु नानक देव जी का जन्म गुरु पर्व के रूप में मनाया जाता है।
नानक देव का अंतिम वर्ष
गुरुजी जब 55 साल के हो गए थे। तो वह पाकिस्तान के करतारपुर में जाकर बस गए थे। और इनकी मृत्यु सितंबर 1539 तक करतारपुर में ही रहे थे। अपनी मृत्यु के समय गुरु नानक ने अपना उत्तराधिकारी अपने भाई लेहना को नियुक्त किया था। बाद में उनका नाम बदलकर गुरु अंगद रख दिया गया था। उत्तराधिकारी नियुक्त करने के बाद 70 साल की उम्र में गुरु नानक देव का निधन हो गया था।
सिख धर्म में दस गुरु थे जिसमें प्रथम गुरु गुरुनानक हैं और अंतिम गुरु गोबिंद सिंह थे
1.गुरुनानक देव (1469-1539)
2.अंगद (1539-1552)
3.अमरदास (1552-1574)
4.रामदास (1574-1581)
5.अर्जुन (1581-1606)
6.हरगोविन्द (1606-1645)
7.हरराय (1645-1661)
8.हरकिशन (1661-1664)
9.तेग बहादुर (1664-1675)
10.गुरु गोविन्द सिंह (1675-1708)
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